संसदीय समितियों की बैठक में सदस्यों की कम उपस्थिति गंभीर चिंता का विषय: वेंकैया नायडू


नयी दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने संसदीय समितियों की बैठकों में सदस्यों की कम उपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये सभी सदस्यों से जनहित के विषयों पर विचार मंथन करने वाली समितियों की बैठकों में उपस्थिति सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। नायडू ने सोमवार को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर विभाग संबंधी स्थायी समितियों की बैठकों का ब्योरा देते हुये बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये अनुदान की मांगों को लेकर राज्यसभा की आठ स्थायी समितियों की अब तक हुयी 20 बैठकों में सदस्यों की 45.35 प्रतिशत उपस्थिति रही। उन्होंने बताया कि इस सत्र के पहले चरण में पेश किए गए बजट में प्रस्तावित सभी मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर विचार करने के लिये दोनों सदनों की विभाग संबंधी कुल 24 समितियां हैं। इनमें से आठ समितियां राज्यसभा सदस्यों की अध्यक्षता वाली हैं और 16 समितियां लोकसभा सदस्यों की अध्यक्षता वाली है। 



 







 






राज्यसभा की आठ समितियों की बैठकों का ब्योरा सदन के साथ साझा करते हुए नायडू ने बताया कि संसद के दोनों सदनों की बैठकों की औसत संख्या भी कम हुई है। उन्होंने कहा कि 1950 के दशक में बैठकों की संख्या 100 से 150 तक होती थी जो अब घटकर 60 से 70 तक रह गई है। उन्होंने कहा कि 1993 में विभाग संबंधी स्थायी समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरु होने के बाद संसदीय कामकाज में सभी दलों के सदस्यों की मौजूदगी वाली समितियों की अग्रणी भूमिका होती है। नायडू ने बताया कि राज्यसभा के विभिन्न सदस्यों की अध्यक्षता वाली आठ समितियों ने 63 घंटों तक चली 20 बैठकों में 18 मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर विचार विमर्श किया। इन समितियों में दोनों सदनों के 244 सदस्यों में 78 राज्यसभा और 166 लोकसभा के हैं। इन समितियों की बैठक में राज्यसभा सदस्यों की उपस्थिति 52.57 प्रतिशत और लोकसभा सदस्यों की उपस्थिति 46.37 प्रतिशत रही। उन्होंने बताया कि आठ में से चार समितियों की बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से ज्यादा रही। इसे स्वागतयोग्य बताते हुए नायडू ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी समिति की बैठकों में सर्वाधिक 65.51 प्रतिशत और सबसे कम 32.25 प्रतिशत उपस्थिति वाणिज्य मंत्रालय संबंधी समिति के सदस्यों की रही।

 

 

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी समिति के 29 में से 19 सदस्यों की सभी तीन बैठकों में शत प्रतिशत उपस्थिति रही। इन आठ समितियों में शामिल भाजपा और कांग्रेस के 142 सदस्यों की बैठकों में उपस्थिति 50 प्रतिशत से अधिक रही जबकि अन्य दलों के 102 सदस्यों की बैठकों में उपस्थिति महज 40 प्रतिशत ही दर्ज की गई। नायडू ने बताया कि समितियों में शामिल दोनों सदनों के 36 सदस्यों ने सभी बैठकों में शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई। शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने वाले राज्यसभा सदस्यों की संख्या 18 से बढ़कर 28 और लोकसभा सदस्यों की संख्या 18 से बढ़कर 59 हो गई है। जबकि 244 में से 95 सदस्य ऐसे भी हैं जिन्होंने एक भी बैठक में शिरकत नहीं की। इनमें राज्यसभा के 23 सदस्य हैं। पिछली समीक्षा में शून्य उपस्थिति वाले सदस्यों की संख्या 28 थी। उन्होंने बताया कि संसदीय समितियों की बैठकों में सदस्यों की भागीदारी के बारे में पिछले साल दिसंबर में की गई समीक्षा में शत प्रतिशत उपस्थिति वाले राज्यसभा के 18 सदस्यों में समितियों के सात अध्यक्ष भी शामिल हैं। इनमें छह सदस्य राकेश सिन्हा, एल हनुमंथैया, रवि प्रकाश वर्मा, अखिलेश प्रसाद सिंह, पी विल्सन और सष्मित पात्रा ने मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर हुयी सभी बैठकों में भी हिस्सा लिया। उन्होंने इन सदस्यों की सराहना करते हुये अन्य सदस्यों से भी समिति की बैठकों में उपस्थिति सुनिश्चित करने की अपील की।