नयी दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के बाद लोगों का जीवन आहिस्ता-आहिस्ता पटरी पर लौट रहा है। वहीं कड़ी सुरक्षा के बीच सरकार की ओर से राहत और पुनर्वास का काम भी शुरू हो गया है। इसके अलावा हिंसा प्रभावित इलाकों में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में बुधवार को अभिभावक शिक्षक (पीटीएम) बैठक का आयोजन कराया जा रहा है। पुलिस जाफराबाद, मौजपुर बाबरपुर, चांद बाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार और मुस्तफाबाद में फ्लैग मार्च कर रही हैं और स्थानीय लोगों के साथ बैठकें कर रही हैं। इन इलाकों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) से संबंधित प्रदर्शनों को लेकर हिंसा भड़की।
मुस्तफाबाद में एक ईदगाह को राहत शिविर में तब्दील किया गया है। वहीं स्थानीय लोगों ने भी हिंसा प्रभावित लोगों के लिए अपने घरों के दरवाजे खोल दिए हैं। कई परिवारों ने मुस्तफाबाद और श्रीराम कॉलोनी के राहत शिविरों में शरण ली है। वहीं कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में हैं। विद्यार्थी बोर्ड की उन परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे हैं, जिन्हें दंगा प्रभावित इलाकों में टाल दिया गया था। पुलिस और अर्द्धसैनिक बल परीक्षा केंद्रों के बाहर कड़ी निगरानी रख रहे हैं। बहरहाल, सरकारी स्कूल सात मार्च तक बंद हैं। शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया, “ इलाके में हिंसा के मद्देनजर शिक्षक अभिभावकों और विद्यार्थियों की काउंसलिंग करेंगे।”
कुछ लोग नुकसान का जायजा लेने के लिए अपने जले हुए घरों में जा रहे हैं। इनमें से कई लोग हिंसा की वजह से भाग गए थे और अपने घर वापस जाने में डर रहे थे। दिल्ली पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में 436 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और 1427 लोगों को गिरफ्तार किया है या हिरासत में लिया है। हिंसा में 42 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा घायल हैं। एक अधिकारी ने बताया कि शस्त्र कानून के तहत 45 मामले दर्ज किए गए हैं। बल ने कहा कि दंगा प्रभावित इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है और पुलिस नियंत्रण कक्ष को पिछले छह दिनों में दंगों से संबंधित कोई कॉल नहीं आई है।