ये हमारा शहर है, आज इस शहर में आग उगल रही है, नफरत उगल रही है : प्रियांका गांधी वाद्रा

 



श्रीमती प्रियांका गांधी वाद्रा ने कहा कि आज हम गृहमंत्री जी की कोठी पर चलकर उनका इस्तीफा मांगना चाहते थे, लेकिन हमें पुलिस ने रोका है, कोठी यहाँ से काफी दूर है, फिर भी हमें जाने नहीं दे रहे हैं।


मैं आप सबका धन्यवाद करती हूं कि आप सब आए हमारे साथ। हमारा संघर्ष आज क्या है – आप सब दिल्ली के कार्यकर्ता हैं, कुछ लोगों ने दिल्ली का चुनाव लड़ा, आप सबने काम किया चुनाव में, यह आपका शहर है, इस शहर को तबाह किया जा रहा है, यहाँ पर दंगा फैलाया जा रहा है। जो आपसी प्रेम है, जिससे सदियों से हम सब इक्कट्ठे रह रहे हैं, इस शहर में लोग रोजगार ढूंढने आते हैं, काम ढूंढने आते हैं और जो भी आता है, उसका प्रेम से यहाँ स्वागत होता है, वो यहाँ बसता है, अपना घर बनाता है।


ये हमारा शहर है, आज इस शहर में आग उगल रही है, नफरत उगल रही है। हम सब कार्यकर्ता हैं, एक ऐसी पार्टी के कार्यकर्ता हैं, जिसके जरिए देश को आजादी मिली, जिसके संघर्ष में सब शामिल हुए। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम शांति की बात फैलाएं, हम अमन रखें, जो पीड़ित हैं, उनकी मदद करें। जहाँ-जहाँ दुख हुआ है, जहाँ-जहाँ पीड़ा हुई है, जहाँ-जहाँ हिंसा फैल रही है, वहाँ हम प्रेम फैलाएं, वहाँ हम अपनी शांति और अमन की बात करें, हम भाईचारे की बात करें।


तो यहाँ हम इसलिए आए, क्योंकि हम गृहमंत्री जी से इस्तीफा मांगना चाह रहे हैं। ये गृहमंत्री जी की जिम्मेदारी है कि देश की राजधानी में शांति हो। सरकार की जिम्मेदारी है, वह इस जिम्मेदारी को निभाने में असफल हुए हैं। हम चाहते हैं कि सरकार एक्शन ले, हम चाहते हैं कि सरकार पूरी तरह से प्रयास करे कि शांति बनी रहे। जिसका नुकसान हो रहा है, उसकी मदद हो, जो अस्पताल में हैं, उसकी मदद हो, जिनके घर जलाए गए हैं, उनकी मदद हो और आपसी प्रेम कायम हो, हमारी यही मांग है और मैं आप सबसे अनुरोध करती हूं कि जब आप यहाँ से निकलेंगे तो उन घरों में जाईए, जहाँ पर दुख हुआ है, जहाँ पर पीड़ा हुई है।


देखिए, आपको मालूम होगा कि स्वतंत्रता के समय जब दंगे हुए, उसके बाद इंदिरा जी ने क्या किया था, वो घर-घर में गई थी, हिंदूओं के घर गई थी, मुसलमानों के घर गई थी और उन्होंने प्रयास किया था कि आपस में बातचीत हो, कि आपस में प्रेस दोबारा बने। मुझे याद है, मैंने पढ़ा कि वो चांदनी चौंक गई थी, वहाँ पर उन्होंने सिर्फ मात्र 10 परिवारों को इक्कट्ठा किया, सिर्फ 10 परिवारों को और उनको एक जगह चाय पर बुलाया, वहाँ पर हिंदू परिवार थे, मुसलमान परिवार थे, ईसाई परिवार थे और उन्होंने उनकी बातचीत कराई, उन्होंने इसी छोटी तरह से, छोटी से छोटी तरह से उन्होंने दोबारा प्रेम को कायम करवाया और यही कांग्रेस पार्टी ने हमेशा किया है। तो मैं आप सबसे दोबारा अनुरोध करती हूं कि आपका धर्म अहिंसा है, आपका धर्म सेवा है। आज आपकी जरुरत है, आपकी बहुत जरुरत है कि आप घर-घर में जाकर प्रेम की बात करें, शांति की बात करें और हम सब आपके साथ हैं, हम सब यही प्रयास करेंगे।


हमें चाहे सरकार कितना भी रोके, हमें यहाँ से गृहमंत्री जी के घर नहीं जाने दे रहे हैं, ठीक है, हम यहीं पर बैठ जाएंगे, लेकिन हमारा कर्तव्य है कि हम देश को जागरुक बनाएं कि जो हिंसा की राजनीति है, वो बंद हो। हमने बार-बार ये कहा है कि हमारा धर्म अहिंसा है, हमारा धर्म प्रेम है, हमारा धर्म आपसी शांति को फैलाना है। इस बात को ले जाकर आप घर-घर में जाईए। मैं खास तौर से दिल्ली के वासियों से प्रार्थना करती हूं, उनसे अपील करती हूं कि हिंसा मत करिए, इससे सिर्फ आपका नुकसान होगा, सिर्फ आपको पीड़ा होगी, आपको दुख होगा। ऐसी राजनीति खराब राजनीति है, इसमें से हम सबको निकलना है, देश को निकलना है। तो आज हम चाहते हैं कि आप सब जो यहाँ उपस्थित हैं और तमाम देशभर में जो कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं, गांधी जी की बात, नेहरु जी की बात, जो कांग्रेस की मूल बात है, अंहिसा की, उसको आगे बढाएं, उसको फैलाएं ताकि हर दिल्लीवासी और देशवासी के दिल में नफरत की बजाए प्रेम के बीज बोएं।