उपद्रवियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस को कोर्ट के आदेश की जरूरत नहींः HC


नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक पुलिस से जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान सीनियर लेवल के पुलिस अधिकारी को मौजूद रहने को कहा गया है। यह सुनवाई दोपहर साढ़े बारह बजे फिर से होगी।


जस्टिस एस मुरलीधर और तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि दोपहर को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद रहना चाहिए। अदालत ने कहा कि पुलिस को हिंसा के संबंध में कार्रवाई करने के लिए कोर्ट के निर्देश की जरूरत नहीं है। पुलिस को उपद्रवियों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई करना चाहिए।


भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग


इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट में एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई हो रही है। याचिका में हिंसा की न्याचिका जांच और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि कुछ राजनीतिक दलों से जुड़े लोग लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं।


याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भड़काऊ भाषण देकर लोगों को भड़काने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। तनावग्रस्त इलाकों में सेना की तैनाती करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। वहीं पुलिस पर आरोप है कि उपद्रवी पत्थरबाजी करते रहे लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। निष्पक्ष जांच के लिए इलाके के सभी सीसीटीवी की फुटेज संरक्षित कराए जाने की मांग की गई है। मृतकों के परिजनों एवं घायलों को आर्थिक मदद देने की मांग की गई है। 


अधिवक्ता नबीला हसन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि हिंसा के दौरान कई लोग जहां घायल हो गए, वहीं कुछ लोगों की जान भी चली गई। उपद्रवियों ने कई दुकानों और घर को आग के हवाले कर दिया है।


मंगलवार रात को हुई सुनवाई


उधर, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में आधी रात को सुनवाई हुई। न्‍यायमूर्ति एस. मुरलीधर के घर पर मंगलवार देर रात हुई सुनवाई में दिल्ली पुलिस को मुस्तफाबाद के एक अस्पताल से एंबुलेंस को सुरक्षित रास्ता और मरीजों को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही स्टेटस रिपोर्ट तलब की गई। बुधवार दोपहर 2 बजकर 15 मिनट पर मामले की फिर से सुनवाई होगी।