नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात ने बदले बिहार के सियासी समीकरण, भाजपा भी हैरान


पटना। बिहार विधानसभा ने एनपीआर 2020 के प्रपत्र में ट्रांसजेंडर का समावेश किए जाने के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2010 में अंकित कॉलम के अनुसार ही एनपीआर कराए जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया। राज्य में एनआरसी के विरोध में भी मंगलवार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सदन की प्रथम पाली में कार्यस्थगन प्रस्ताव (एनपीआर को लेकर) पर विमर्श के दौरान सभी सदस्यों की राय निकलकर आई कि एनपीआर और एनआरसी को लेकर एक सर्वसम्मत प्रस्ताव सदन द्वारा पारित किया जाए।


 

नीतीश और तेजस्वी के बीच नोक झोंक

 

बिहार विधानसभा में एनपीआर को लेकर सदन द्वारा सर्वसम्मति से पारित किए जाने वाले प्रस्ताव पर जारी चर्चा के दौरान तेजस्वी ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री का इतिहास रहा है  कब किधर पलटी मार जाएं  इसलिए भरोसा जल्दी होता नहीं। हम लोगों ने भरोसा कर 2015 में साथ सरकार बनाया था लेकिन अब हम लोगों को एक एक चीज देखना पड़ेगा। 

तेजस्वी की इस टिप्पणी पर नीतीश ने कहा सब बात तो हो गयी। कहां कोई असहमति है। नीतीश ने तेजस्वी से आगे कहा आपको कुछ बात हम पर नहीं बोलना चाहिए। ये सब बोलने का आपके पिता जी को अधिकार है। मत बोला करो ज्यादा।

 

20 मिनट की मुलाकात 

 

तेजस्वी ने विधानसभा स्थित नीतीश के कक्ष में जाकर उनसे मुलाकात की लेकिन दोनों के बीच क्या बातें हुईं, इसको लेकर तेजस्वी ने खुलासा नहीं किया। इस दौरान नीतीश कुमार-तेजस्वी के अलावा आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और कांग्रेस विधायक अवधेश नारायण सिंह भी मौजूद थे। इस मुलाकात के बाद ही NPR और NRC के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। 

 

नाराज हुई बीजेपी

भले ही बिहार विधानसभा में एनपीआर और एनपआरसी के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हो गया लेकिन बीजेपी नीतीश से नाराज है। यह माना जा रहा है कि नीतीश कुमार का यह कदम गठबंधन के लिए सही नहीं है। बीजेपी के मंत्री विनोद सिंह, विजय सिन्हा और प्रेम कुमार ने दबी जुबान से इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जरूर जताई। बीजेपी नेता मान रहे हैं कि नीतीश कुमार के इस कार्य की समीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जरूर करेंगे। आगे उन्हीं के इशारे पर भी कोई काम किया जाएगा। नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात के बाद बीजेपी को चिंता भी सता रही है। 

 

नीतीश का मास्टर स्ट्रोक 

एनपीआर और एनपआरसी के खिलाफ प्रस्ताव लाकर नीतीश कुमार ने मास्टर स्ट्रोक खेला है। माना जा रहा है कि सीएए के समर्थन के बाद उनकी छवि को जो अल्पसंख्यकों में नुकसान पहुंचा था उसे सुधारने की उन्होंने कोशिश की है। नीतीश कुमार ने अपने इस कसम से विपक्ष का बड़ा मुद्दा उनसे छीन लिया है। नीतीश को लगता था कि चुनाव में उनकी सेकुलर छवि को विपक्ष एनआरसी और एनपीआर के बहाने धूमिल करने की कोशिश करेगा। उधर भाजपा को भी लग रहा है कि नीतीश की वजह से पार्टी का कोर एजेंडा बिहार चुनाव से खत्म हो गया।