जनपदीय पदाभिहित अधिकारियों एवं अपीलीय अधिकारियों हेतु आरिएंटेशन कार्याशाला आयोजित


रूद्रप्रयाग 07 फरवरी, 2020 (सू0वि0)
जिला कार्यालय सभागार में उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त (प्रभारी) श्री डी.एस.गब्र्याल की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम-2011 पर जनपदीय पदाभिहित अधिकारियों एवं अपीलीय अधिकारियों हेतु आॅरिएंटेशन कार्याशाला आयोजित की गयी। कार्याशाला का शुभारम्भ करते हुए श्री डी.एस.गब्र्याल, मुख्य आयुक्त (प्रभारी) उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग ने नागरिक अधिकार पत्र की अवधारणा एवं उसकी अव्यववों सहित उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन, सेवा-आवेदनों के निस्तारण तथा जन-सामान्य को उपलब्ध करायी जा रही सेवाओं के विषय में पारदर्शिता, समयबद्धता एवं जवाबदेही सुनिश्चित किये जाने पर बल दिया। उन्होने कहा कि प्रशासनिक सुधारों का आशय मूलतः नागरिकों को सुलभता एवं सरलता तथा बिना किसी भेदभाव की सेवायें उपलब्ध कराना है।
कहा कि उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग का गठन 2014 मंे करने के उपरान्त राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम, 2011 के प्रभावी क्रियान्वयन की व्यवस्था राज्य में स्थापित की है। अधिनियम के अन्तर्गत अधिसूचित विभिन्न सेवाओं यथा-समाज कल्याण विभाग द्वारा स्वीकृत की जानी वाली छात्रवृत्ति, विधवा/वृद्वावस्था/विकलांग पेशन आदि विनियमित क्षेत्र द्वारा मानचित्र स्वीकृति, स्थाई निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, सम्पत्ति हस्तान्तरण आदि से सम्बन्धित मामलों के निस्तारण के दौरान आयोग के संज्ञान में आये बिन्दुओं को उसने शासन को संदर्भित किया है और इसके साथ-साथ अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु अपनी संस्तुतियां भी प्रेषित की है। आयोग द्वारा किये गये प्रयासों का प्रतिफल है कि राज्य सरकार ने 27 विभागों की कुल 242 सेवाओं को अधिसूचित किया है और लगभग 100 सेवायें अधिसूचित किये जाने हेतु सरकार के विचाराधीन है। नागरिक अधिकार पत्र (ब्पजप्रमदेष्ब्ींतजमत) के निर्माण हेतु विभागों के सहायोगार्थ तथा उन्हें तकनीकी मार्ग दर्शन एवं परामर्श प्रदान करने हेतु उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग को राज्य में उत्प्रेरक (ब्ंजंसलेज) एवं सुगमकर्ता (थ्ंबपसपजंजवत) नामित किया गया है, जिस संबंध में आयोग राज्यस्तरीय कार्याशाला आयोजित कर चुका है।
कहा कि आयोग द्वारा नागरिकों की जागरूकता हेतु समय-समय पर विज्ञापन प्रकाशित कर उन्हें अधिसूचित सेवाओं को प्राप्त करने हेतु राज्य सरकार द्वारा की गयी व्यवस्था से अवगत कराया जा रहा है। नागरिकांे के उपयोगार्थ आयोग की वेबसाईट (नतजेबण्नाण्हवअण्पद) एवं टोल-फ्री नम्बर 1800-270-9818 जारी किया गया है। इसमें आॅनलाइन शिकायत, पुनरीक्षण एवं सुझाव दर्ज करने की व्यवस्था है। जिसके माध्यम से आवेदक अपनी शिकायत एवं पुनरीक्षण आवेदनों का (ेजंजने) की जानकारी प्राप्त कर सकते है। आयोग अब तक अधिसूचित सेवाओं से सम्बन्धित कुल 18,000$ मामलों का सुनवाई कर निस्तारण कर चुका है।
कार्याशाला में उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग, सचिव, श्री पंकज नैथानी द्वारा पी.पी.डी के माध्यम से सेवा का अधिकार की विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी। कार्याशाला के माध्यम से पदभिहित अधिकारियों को आवेदनों की प्राप्ति, उनके सापेक्ष जारी पावती, आवेदनों के निस्तारण, अस्वीकृत आवेदनों के कारणों को लिखित में आवेदक को अभिलिखित किये जाने आदि विषय तथा अपीलीय प्राधिकारियों को पदाभिहित अधिकारियों के कार्यालयों के निरीक्षण, उन्हेे मार्गदर्शन प्रदान करने, अपीलों का ससमय निस्तारण, प्रगति प्रतिवेदनों की समयबद्धता आदि विषयों के बारे में जानकारी दी गयी।
  इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी सरदार सिंह चैहान, मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. एस.के. झा,  उपजिलाधिकारी रूद्रप्रयाग बृजेश तिवाडी, जखोली एन.एस. नगन्याल, पुलिस अधीक्षक जी.एल. कोहली, जिला विकास अधिकारी मनिवंदर कौर, तहसीलदार, रूद्रप्रयाग किशन गिरी, जखोली शाॅलिनी मौर्य, ऊखीमठ जयबीर राम बधानी, मुख्य शिक्षा अधिकारी के.एन.काला, मुख्य कृषि अधिकारी एस.एस.वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी योगेन्द्र चैधरी सहित समस्त जनपदीय स्तरीय अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।