मुम्बई। भाजपा के पूर्व सहयोगी दल ने कहा कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आती है लेकिन अब यह हैरान करने वाला है कि जब 38 लोगों की जान चली गई और सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा तब शाह कहीं नहीं दिखे। शिवसेना ने कहा, ‘‘अगर इस समय कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी केंद्र में सत्ता में होती और भाजपा विपक्ष में होती तो पार्टी गृह मंत्री का इस्तीफा मांगती और अपनी मांग को लेकर मोर्चा निकालती।’’ संपादकीय में कहा गया, ‘‘अब ये सब नहीं होगा क्योंकि भाजपा सत्ता में है और विपक्ष कमजोर है। लेकिन फिर भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शाह का इस्तीफा मांगा है।’’
शिवसेना ने दिल्ली में बिगड़ रहे हालात को काबू में करने के लिए की गई कार्रवाई में देरी पर भी सवाल खड़े किए। उसने कहा, ‘‘जब गृह मंत्री 24 फरवरी को अहमदाबाद में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का स्वागत कर रहे थे तो दिल्ली में आईबी के एक अधिकारी की हत्या कर गई।’’ अखबार ने कहा, ‘‘तीन दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति की अपील की और एनएसए अजीत डोभाल लोगों से बात करने के लिए दिल्ली की सड़कों पर आए। नुकसान होने के बाद इन सभी कदमों की अब क्या जरूरत है?’’ संपादकीय में कहा गया है, ‘‘अगर विपक्ष संसद में दिल्ली दंगों का मुद्दा उठाता है तो क्या उसे राष्ट्र विरोधी कहा जाएगा?’’