दहेज हत्या में पति और ससुर को सात साल कारावास की सजा


देहरादून। पटेलनगर के मेहूंवाला में करीब आठ साल पहले संदिग्ध परिस्थितियों में हुई विवाहिता की मौत के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश शंकर राज की अदालत ने पति और ससुर को सात-सात साल कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर दस-दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है, जिसे अदा न करने पर दोनों को छह-छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।


सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने अदालत को बताया कि अफसाना की शादी 26 फरवरी 2008 को शौकीन निवासी नयागांव मेहूंवाला से हुई। अफसाना के पिता मुन्फैद ने आरोप लगाया कि शादी के बाद पति और ससुर मीर हसन आए दिन उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे। 28 जून 2011 को अफसाना ने पिता को फोन कर बताया कि उसे काफी परेशान किया जा रहा है। इस पर उसका भाई इमरान मिलने पहुंचा। घर पर अफसाना नहीं मिली। 


शौकीन व मीर हसन ने बताया कि अफसाना कहीं बाहर गई है। काफी देर इंतजार के बाद इमरान अपने घर चला गया। अगले दिन अफसाना के पड़ोस से एक व्यक्ति ने मुन्फैद को फोन कर बताया कि उनकी बेटी बेहोश पड़ी है। मुन्फैद मेहूंवाला पहुंचा तो अफसाना मर चुकी थी। उसके मुंह से झाग निकला हुआ था और पेट भी फूला था। 


 

पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और बिसरा जांच भी कराई। जिसमें पाया गया कि अफसाना की मौत विषाक्त पदार्थ खाने से हुई है। अदालत ने कहा कि मुन्फैद ने बयान दिया कि शादी के बाद दहेज के तौर पर एक बार बीस व दूसरी बार पचास हजार रुपये शौकीन और मीर हसन को दिए गए, जिसके बाद उनकी मांग बढ़ती गई। 


उनकी मांग को पूरा न होने पर उनकी बेटी की हत्या कर दी गई। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल नौ और बचाव पक्ष से दो गवाह पेश हुए। गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने दोनों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।