देहरादून, । चारधाम यात्रा मार्गों पर सड़क चौड़ीकरण कार्य के दौरान सक्रिय भूस्खलन जोन स्थानीय लोगों के लिए तो परेशानी का सबब बन ही रहे हैं, आसन्न यात्रा सीजन को लेकर भी चिंता बढ़ा रहे हैं। भूस्खलन बढ़ने से न सिर्फ हाइवे बाधित हो रहे हैं, बल्कि दुर्घटना की आशंका भी बराबर बनी रहती है। अभी हाल ही में नंदप्रयाग के पास बदरीनाथ हाइवे चौड़ीकरण के दौरान हुए भूस्खलन में पांच मकान जमींदोज हो गए थे। हालांकि, चौड़ीकरण कार्य के दौरान निर्माण एजेंसियां सुरक्षा के भी बराबर इंतजाम करती हैं, लेकिन कई बार कुदरत के आगे इंसान के सारे इंतजाम धरे-के-धरे रह जाते हैं।
बदरीनाथ हाइवे पर सक्रिय हुए दो दर्जन नए भूस्खलन जोन
ऑलवेदर रोड के तहत बदरीनाथ हाइवे पर चल रहे चौड़ीकरण कार्य के दौरान दो दर्जन से अधिक नए भूस्खलन जोन उभर आए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग और ढांचागत विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) भी इन नए उभरे भूस्खलन जोनों से परेशान होकर इनका विशेषज्ञों से अध्ययन कराकर स्थायी ट्रीटमेंट की कार्ययोजना बना रहा है। ये भूस्खलन जोन कर्णप्रयाग से बदरीनाथ के बीच कालेश्वर, लंगासू, दिउलीबगड़, नंदप्रयाग के पास, बांजबगड़ के पास, चमोली और बाजपुर के बीच, क्षेत्रपाल, बिरही, गडोरा पीपलकोटी, पातालगंगा पागल नाला आदि स्थानों पर सक्रिय हैं। यहां लगातार हाइवे पर मलबा और बोल्डर आ रहे हैं।नंदप्रयाग सहित कई अन्य भूस्खलन जोन तो ऐसे हैं, जो बार-बार हाइवे को बाधित कर रहे हैं। लेकिन, इनके ट्रीटमेंट का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। एनएचआइडीसीएल के सहायक अभियंता अंकित शर्मा बताते हैं कि भूस्खलन जोनों का अध्ययन कर इनके स्थायी ट्रीटमेंट की कार्ययोजना अमल में लाई जाएगी। इसके लिए एनएच स्टडी कर रहा है, ताकि तकनीकी विशेषज्ञों से इसकी जांच कराई जा सके। दूसरी ओर, लामबगड़ भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट कार्य लंबा खिंचने से यहां पर अभी भी परेशानी बरकरार है। एक किमी क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन से हल्की बारिश में भी हाइवे बंद होना आम बात है। 98 करोड़ की लागत से यहां पर 2019 में ट्रीटमेंट कार्य पूरा होना था, जो अभी भी आधा-अधूरा ही हुआ।
चौड़ीकरण के साथ ही लगातार दरक रही हैं पहाड़ियां
टिहरी जिले में ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग और ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पर करीब 20 स्थानों पर भूस्खलन जोन सक्रिय होने से वाहनों के लिए खतरा बना हुआ है। गंगोत्री हाइवे पर नरेंद्रनगर, कुमारखेड़, बेमर, फकोट, नगुण, कमांद और खाड़ी में भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। जबकि, बदरीनाथ हाइवे पर साकनीधार, तीनधारा और जियालगढ़ में भूस्खलन का ज्यादा खतरा है। इन स्थानों पर ऑलवेदर रोड की कटिंग का कार्य चल रहा है। जिससे पहाड़ियां लगातार दरक रही हैं और सड़क पर मलबा आ रहा है। निर्माण एजेंसियां हालांकि सुरक्षा के उपाय करती हैं, लेकिन बारिश में ये सब धुल जाते हैं। बीते वर्ष बरसात में नरेंद्रनगर के पास पहाड़ी से मलबा कांवड़ियों के वाहन पर आ गिरा था।
इसमें चार कांवड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई। इसी तरह खाड़ी में भी पिछले साल जेसीबी के ऊपर मलबा गिरने से ऑपरेटर की मौत हो गई। बदरीनाथ हाइवे पर साकनीधार में भी कई वाहनों के ऊपर मलबा गिरने की घटनाएं बीते साल घटीं। आपदा नियंत्रण कक्ष प्रभारी बृजेश भट्ट बताते हैं कि करीब 20 स्थानों पर भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। वहां पर संबंधित एजेंसियों को सुरक्षा प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं।
ऑलवेदर चौड़ीकरण में बढ़ रहे भूस्खलन जोन
वर्ष 2018 से निर्माणाधीन ऑलवेदर रोड चौड़ीकरण के दौरान गंगोत्री हाइवे पर धरासू बैंड व चुंगी बड़ेथी में दो नए भूस्खलन जोन उभर आए हैं। चुंगी बड़ेथी में तो बीते वर्ष कई दिनों मार्ग बंद रहा। ऐसे में वाहन मनेरा बाईपास से विकास भवन लदाड़ी से तेखला होते हुए उत्तरकाशी पहुंचे। इन दिनों यहां भूस्खलन थोड़ा रुका हुआ है, लेकिन बारिश होते ही फिर मुसीबत खड़ी हो सकती है। यही हाल धरासू बैंड का भी है। इन भूस्खलन जोन से वाहन चालकों और यात्रियों को जान हथेली पर रखकर आवाजाही करनी पड़ती है। यह अलग बात है कि इन दोनों भूस्खलन जोन पर अभी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी।
भूस्खलन जोन में हो चुके दो बड़े हादसे
चारधाम परियोजना के तहत जिले में 76 किमी लंबे गौरीकुंड हाईवे के चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। इससे हाइवे पर कई भूस्खलन जोन सक्रिय हो गए हैं। अब तक यहां दो बड़ी दुर्घटनाएं घट चुकी हैं, जिनमें 15 लोगों की जान गंवानी पड़ी। बावजूद इसके अभी तक दोनों स्थानों पर भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं हो सका। वर्ष 2018 में 21 दिसंबर को गौरीकुंड हाइवे पर बांसवाड़ा के पास पहाड़ी दरकने से नौ मजदूरों की मौत हो गई थी। जबकि, दूसरी बड़ी घटना सिंतबर 2019 में फाटा से आगे बड़ासु भूस्खलन जोन पर घटी। यहां पहाड़ी दरकने से छह लोगों की मलबे में दफन हो गए। इस हादसे में दो वाहन और दो मोटरसाइकिल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी।
इसके अलावा छोटी-मोटी दुर्घटनाएं तो आए दिन होती रहती हैं। गौरीकुंड हाइवे पर रुद्रप्रयाग से 28 किमी दूर बांसवाड़ा स्लाइडिंग जोन काफी सक्रिय है। यहां पर 50 से अधिक वाहन अब तक क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। निर्माण एजेंसी चौड़ीकरण का कार्य तो कर रही हैं, लेकिन भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं हो सका। पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली कहते हैं कि विकास के कार्य जरूरी हैं, लेकिन पहाड़ों की सुरक्षा के लिए भी सरकार को बेहतर कार्य करना चाहिए।