नयी दिल्ली। राज्ससभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में दखल का अधिकार किसी भी देश को नहीं है और यह संदेश स्पष्ट तौर पर, पूरी मजबूती के साथ दिया जाना चाहिए। सभापति ने यह बात शिवसेना के अनिल देसाई के विशेष उल्लेख के दौरान कही। देसाई ने अपने उल्लेख में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में यूरोपीय संसद में एक प्रस्ताव लाए जाने का मुद्दा उठाया था।
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए देसाई ने कहा कि एक प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए कि भारत अपने अंदरूनी मामलों में दूसरे देशों का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा। इस पर सभापति ने सहमति जताते हुए कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में दखल का अधिकार किसी भी देश को नहीं है और यह संदेश स्पष्ट तौर पर, पूरी मजबूती के साथ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘उच्च सदन का सभापति और देश का उप राष्ट्रपति होने के नाते मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यहां चाहे जो भी मुद्दे हों, उन पर चर्चा करने और फैसला करने के लिए भारतीय संसद ही संप्रभु प्राधिकार है।’’
सभापति ने कहा ‘‘भारत के आंतरिक मामलों में दखल का अधिकार किसी भी देश को नहीं है। दूसरे देशों को अपने अपने मामले देखने चाहिए।’’उन्होंने हैरत जताते हुए कहा कि अगर भारतीय संसद में ब्रेक्जिट और फिर ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने अथवा उनके किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा हो तो क्या दूसरे देशों को यह अच्छा लगेगा ? गौरतलब है कि यूरोपीय संसद के सदस्यों के छह राजनीतिक समूहों ने भारतीय संसद द्वारा पारित संशोधित नागरिकता कानून को भेदभावपूर्ण बताते हुए इसके विरोध में एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था। हालांकि यूरोपीय संसद ने दो मार्च से शुरू हुए अपने नए सत्र में इस प्रस्ताव पर मतदान न करने का फैसला किया।