2018 में किसानों की आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आये

 



नयी दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को बताया कि साल 2018 में देश में कुल 5763 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें से 2239 मामले महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र में स्थिति की गंभीरता को देखते हुये सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिये सभी संबद्ध पक्षकारों के साथ विचार विमर्श तेज कर दिया है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि 2018 में किसानों की आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आये। रूपाला ने कहा कि केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस समस्या से निपटने के लिये तमाम कारगर कदम उठाये जाने के बावजूद आत्महत्याओं में कमी नहीं आना चिंता की बात है। 



उन्होंने कहा कि किसान कल्याण से जुड़ी महाराष्ट्र और केन्द्र सरकार की कारगर योजनायें लागू हैं और किसानों की आत्महत्या रोकने के लिये राज्य में व्यवस्थित निगरानी तंत्र भी है। रूपाला ने कहा, ‘‘केन्द्र और राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी किसानों की सर्वाधिक आत्महत्या महाराष्ट्र में होना चिंता की बात है। हम समीक्षा कर रहे हैं कि यह स्थिति क्यों है। हम किसानों सहित अन्य पक्षकारों से विचार विमर्श कर समस्या का कारगर समाधान करेंगे।’’ 


सवाल के लिखित जवाब में मंत्रालय ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हवाले से बताया कि 2018 में देश में दर्ज, 5763 किसानों की आत्महत्या के मामलों में महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक में 1365, तेलंगाना में 900, आंध्र प्रदेश में 365, मध्य प्रदेश में 303 और पंजाब में 229 किसानों ने आत्महत्या की। रूपाला ने किसान कल्याण के लिये सरकार द्वारा किए गए कारगर उपायों की जानकारी देते हुये बताया कि किसान सम्मान निधि योजना के तहत 6.11 करोड़ किसानों को 12 हजार करोड़ रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित की गयी। 


उन्होंने बताया कि कृषि मंत्रालय के पास आठ करोड़ किसानों का डाटा संरक्षित है। आंकड़ों की मदद से किसानों को सीधे सहायता राशि मुहैया करायी जाती है। इसमें प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना के तहत 58,592 करोड़ रुपये की राशि फसल के नुकसान की भरपाई के रूप में किसानों को दी गयी। 


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