नैना देवी मां के नेत्र दर्शन से खत्म हो जाएगी आंखों से जुड़ी समस्याएं

 



नैनीताल घूमने के लिए काफी खूबसूरत जगह है। दिल्ली-एनसीआर के अधिकतर लोग अपने वीकेंड पर नैनीताल जाना पसंद करते हैं।


क्योंकि ये हिल स्टेशन दिल्ली से सबसे नजदीक है। नैनीताल की खूबसूरत के कारण यहां पर्यटक बड़ी संख्या में घूमने आते हैं।


नैनी झील का धार्मिक महत्व नैनीताल का घूमने फिरने के अलावा धार्मिक रूप से भी काफी महत्व है। नैनीताल की नैनी झील धार्मिक रूप से काफी पवित्र झील हैं। स्कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर भी कहा गया है। नैनी झील कैसे बनी इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं, लेकिन यहां के लोगों की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्त्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील में बारे में कहा जाता है यहाँ डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी में नहाने से मिलता है।


यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है। नैना देवी मंदिर नैना झील के किनारे एक मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं। ये मंदिर नैना देवी मंदिर के नाम से दुनिया में मशहूर है। नैना देवी मंदिर के दर्शन के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। नैना देवी के इस मंदिर की मान्यता है कि यदि कोई भक्त आंखों की समस्या से परेशान हैं तो अगर वह नैना मां के दर्शन कर ले तो जल्द ही ठीक हो जाएगा। इसके अलावा यहां तमाम भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं।


1880 में नैनीताल में भयानक भूस्खलन आया था। इस आपदा में नैना देवी मां का मंदिर नष्ट हो गया था। इस हादसे के बाद मंदिर को फिर से बनवाया गया है। इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं। इन नेत्र के दर्शन मात्र से मां का आशीर्वाद मिलता हैं। मंदिर के अंदर नैना देवी के संग भगवान गणेश जी और मां काली की भी मूर्तियां हैं। मंदिर के प्रवेशद्वार पर पीपल का एक बड़ा और घना पेड़ है। यहां माता पार्वती को नंदा देवी कहा जाता है।


मंदिर में नंदा अष्टमी के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि 8 दिनों तक चलता है। यह मंदिर नैनीताल मुख्य बस स्टैंड से केवल 2 किमी की दूरी पर बना हुआ है। मंदिर परिसर में मां को चढ़ाने के लिए पूजा सामग्री मिल जाती है। नैनीताल आने वाले पर्यटक भी मंदिर की मान्यताओं को सुनकर मंदिर के दर्शन के लिए आते हैंबन हुए हैं। इन नेत्र के दर्शनमा पल 2 किमी की दूरी पर बना हमार ना पड़ है। यहां माता पार्वती को