वैष्णो देवी आने वालों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। नार्मल रूटीन में 20 से 25 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन वैष्णो देवी की यात्रा में शामिल होते रहे हैं पर यह आंकड़ा न ही श्राइन बोर्ड को खुशी दे पा रहा है और न ही उन लोगों को जिनकी रोजी रोटी यात्रा से जुड़ी हुई है। पिछले साल वैष्णो देवी की यात्रा में हुई मामूली बढ़ोत्तरी ने जो खुशी की झलक वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के चेहरों पर लाई थी वह इस बार काफूर हो गई है क्योंकि यात्रा में शामिल होने वाले इस बार पिछले साल का भी रिकार्ड नहीं तोड़ पाए हैं। वैष्णो देवी की यात्रा पर महंगाई, मंदी और आतंक के खतरे के साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांटने की कवायद ने भी अपना असर छोड़ा हैआधिकारिक आंकड़ों के बकौल, जम्मू कश्मीर में आतंक ढलान पर है। यह दावा आंकड़ों के बल पर है। पर आईएस के कश्मीर की ओर बढ़ते कदमों के कारण आतंक का आतंक अभी कायम है। इससे कोई इंकार नहीं करता है। नतीजा सामने है। आतंक का आतंक अगर जम्मू कश्मीर टूरिज्म को पलीता लगा चुका है तो उसने महंगाई और मंदी के साथ मिल कर वैष्णो देवी की यात्रा को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। इस साल आज तक आने वालों की संख्या 77 लाख थी। कल साल के आखिरी दिन श्राइन बोर्ड को शायद चमत्कार का इंतजार है जो पिछले साल आने वाले 85 लाख के आंकड़े के रिकार्ड को बदल देगा। अगर आंकड़ों और उम्मीद की बात करें तो यह पिछले साल के आंकड़ो को भी छू नहीं पाया है। वैसे इसके प्रति उम्मीद थी जो टूट गई है। यह उम्मीद वर्ष 2011 के रिकार्ड के टूटने की थी जब श्रद्धालुओं ने सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 1.01 करोड़ का नया रिकार्ड बनाया था। उसके बाद यात्रा हमेश ढलान पर ही रही। कई कारण जिम्मेदार रहे इसके लिए। पहले उत्तराखंड में आने वाली बाढ़ ने पहाड़ों की ओर रूख करने वालों को डरा दिया तो उसके अगले साल महंगाई और मंदी ने भी अपना असर दिखाया। साथ ही जम्मू कश्मीर में आई सदी की भयंकर बाढ़ ने सब कुछ धो डालाअबकी बार धारा 370 को हटाए जाने की कवायद ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इतना जरूर था कि यात्रा के आंकड़ों की उम्मीद लगाने वालों में अगर कटड़ा के व्यापारी भी थे तो यात्रा का जिम्मा संभालने वाला श्राइन बोर्ड भी। हालांकि सुगबुगाहट यह भी है कि वैष्णो देवी गुफा के दर्शनार्थ आने वालों को दर्शनों का कम समय मिलने के कारण भी हजारों श्रद्धालु अब इस तीर्थस्थान से मुख मोढ़ रहे हैं। यह श्राइन बोर्ड की उस कवायद से भी साबित होता था जिसमें उसने यात्रा मैनेजमेंट की खातिर आईआईटी अहमदाबाद से मदद मांगी है।
स्पष्ट शब्दों में कहें तो पिछले चार सालों से वैष्णो देवी आने वालों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। हालांकि नार्मल रूटीन में 20 से 25 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन वैष्णो देवी की यात्रा में शामिल होते रहे हैं पर यह आंकड़ा न ही श्राइन बोर्ड को खुशी दे पा रहा है और न ही उन लोगों को जिनकी रोजी रोटी यात्रा से जुड़ी हुई है। यात्रा में कमी आने से न सिर्फ कटड़ा के व्यापारी ही प्रभावित हुए हैं बल्कि जम्मू के व्यापारियों का भी तेल निकल रहा है। और सर्दियों में यह आंकड़ा घट कर 8 से 10 हजार तक ही पहुंच जाता रहा है। वर्ष 2011 में वैष्णो देवी की यात्रा में 1.01 करोड़ तथा 2012 में 1.04 करोड़ श्रद्धालुओं ने शामिल होकर नया रिकार्ड बनाया था। जानकारी के लिए वर्ष 1950 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रतिवर्ष इस यात्रा में 3000 लोग ही शामिल हुआ करते थे। हालांकि इस बार श्राइन बोर्ड को उम्मीद थी कि यात्रा सवा करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी पर अब उसे लगने लगा है कि यह शायद ही पिछले साल के रिकार्ड को भी छू पाए।