दो करोड़ से ज्यादा मामले निचली अदालतों में लंबित हैं
देश की निचली अदालतों में दो करोड़ से ज्यादा 2014 में निचली अदालतों ने एक करोड़ 90 लाख 19 मामले लंबित हैं जिनमें से दस फीसदी से ज्यादा दस हजार 658 मामलों का समाधान किया। उन्होंने कहा वर्षों से लंबित हैं। यह जानकारी कानून मंत्रालय के था कि 24 उच्च न्यायालयों ने 2014 में 17 लाख 34 आंकड़ों में दी गई है। राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड की हजार 542 मामलों का निष्पादन किया। दिसम्बर वेबसाइट पर उपलब्ध आंकडे के मताबिक 31 दिसम्बर 2014 के अंत तक उच्च न्यायालयों में करीब 41.53 2015 तक विभिन्न राज्यों की जिला अदालतों में कुल लाख मुकदमे लंबित थे। उच्चतम न्यायालय ने पिछले दो करोड़ 60 हजार 998 मामले लंबित हैं। __ वर्ष एक दिसम्बर तक 44 हजार 90 मामलों का इनमें से 83 लाख 462 या 41,38 फीसदी मामले दो निपटारा किया जबकि वहां पर दिसम्बर 2015 की वर्षों से कम समय से लंबित हैं। साथ ही 21 लाख 72 शुरूआत तक 58 हजार 906 मामले लंबित थे। लंबित हजार 411 या 10 , 83 फीसदी मामले दस वर्षों से मामलों के बारे में कानून मंत्रालय का कहना है कि इस ज्यादा समय से लंबित हैंक्षेत्र में नीति निर्माता जो सबसे बड़ी समस्या का जस्टिस डिलिवरी एंड लीगल रिफॉर्स पर कानून सामना कर रहे हैं वह है किसी मानदंड का नहीं मंत्रालय की तरफ से गठित उच्चस्तरीय बैठक के होनाष्ष् जिससे पता लगाया जा सके कि कब किसी लिए तैयार किए गए नोट में यह जानकारी मौजूद है। मामले को विलंबित समझा जाए । नोट में कहा गया है बैठक अगले हफ्ते होगी। एनजेडीजी के वेबसाइट पर उदाहरण के लिए अगर किसी मामले के शुरू होने के मौजूद आंकड़े का हवाला देते हुए नोट में स्पष्ट किया एक वर्ष के अंदर निपटारा नहीं होता है तो क्या इसे गया है कि इसमें देश की सभी अदालतों को शामिल विलंबित समझा जाए? नहीं किया गया है। कानून विभाग समय-समय पर विलंब का मानदंड नहीं होने से मुद्दे के समाधान के 24 उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय से लंबित लिए नीति बदलाव का निर्धारण करने में बाधा उत्पन्न मामलों के आंकड़े एकत्रित करता हैआंकड़े में कहा करता है। इसने कहा कि लंबित मामलों की संख्या गया है कि 36 लाख 30 हजार 282 या 18.1 फीसदी घटाने के लिए न्यायाधीशों की संख्या में कमी लाना या मामले पांच से दस वर्षों से लंबित हैंदो से पांच वर्षों अतिरिक्त पीठ का निर्माण करने का प्रयास होता है से लंबित मामलों की संख्या 59 लाख 83 हजार 862 और जब इस बात पर असहमति नहीं है कि या कुल मामलों का 29,83 फीसदी है। न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है तो यह कानून मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने दिसम्बर में लंबित मामलों की संख्या घटाने का एकमात्र उपाय लोकसभा को दिए लिखित जवाब में कहा था कि नहीं है